सरे महशर यही पूछूंगा खुदा से पहले
तूने रोका भी था मुजरिम को खता से पहले ?
इस तरह सताया है, परेशान किया है
गोया कि मुहब्बत नहीं एहसान किया है
तूने रोका भी था मुजरिम को खता से पहले ?
इस तरह सताया है, परेशान किया है
गोया कि मुहब्बत नहीं एहसान किया है
badhiya abhivyakti. likhate rahiye.
ReplyDeleteसमयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : ये चिठ्ठी शानदार तो नहीं है पर सबको साथ लेकर चलने वाली है .
बेहतरीन्!
ReplyDeleteचन्द लफ्जों में ही बहुत कुछ ब्यां करती रचना!!
बेहतर रचना ।
ReplyDeletewaah sundar sher
ReplyDeletekhayaalo ki achchi manovirti waah...
Deepak "bedil"
http://ajaaj-a-bedil.blogspot.com