Sunday, January 24, 2010

यमलोक

एक रात मैं सपने मै मर गया औ़र सीधा यमराज के दर गया।
मैं बोला आदाब बज़ा लता हूँ वो बोले ठहर भेंस बांध कर आता हूँ।
पूछा कहाँ से आए हो ? अमेरिका से या जापान से तसरीफ लाए हो ?
मैं बोला ना मैं अमेरिकी ना जापानी मैं तो हूँ सीधा साधा हिन्दुस्तानी।
पूछा कुछ अच्छा काम किया है ?
मैं तुरंत बोला मज़हबी लड़ाई मै भाग लिया है।
यमराज बोले इसे अच्छा काम मानता है यही तो घोर पाप है क्या तू नहीं जानता है?
तुम लोगो से बड़ा परेशान हूँ औ़र ये सोचकर हैरान हूँ, तुम्हे किसने ये पट्टी पढाई?
क्या कभी की थी राम रहीम ने लड़ाई?
यमराज बोले मुझे जानता है? मैं हूँ किंग परलोक का औ़र तू मानव प्रथ्वी लोक का।
मैं बोला ठीक है अब देर ना लगाओ औ़र जल्दी मुझे स्वर्ग तक छोड़ आओ।
यमराज बोले तुमने आने मै करदी थोड़ी देरी अब तुम्हारी व्यवस्था करनी पड़ेगी टेम्परेरी।
मेने उत्सुक्तवस पूछा क्या स्वर्ग भरा है पूरा?
वे बोले दरअसल नरक तो फुल है महानरक है अधुरा,
दो चार साल मै बन जायेगा फिर तुम्हे वहां यमदूत बा इज्ज़त छोड़ आएगा।
तब तक वापस प्रथ्वी लोक चले जाओ वहां थोडा सही मगर पुण्य कमाओ।
औ़र सुन मानव सेवा सबसे बड़ा काम है इसी के जरिये स्वर्ग मै मिलता मक़ाम है।
अगर तू निस्वार्थ मानव सेवा करेगा तो निश्चित स्वर्ग मै तेरा भी घर रहेगा।
ये सब सुन जेसे ही मैं प्रथ्वी पर आया सूरज निकला पक्षियों ने चेह्चाहाया।
अब मैं मानव सेवा ही करूँगा क्योंकि मुझे पता है,
एक बार फिर मरूँगा, एक बार फिर मरूँगा।
ताहिर अली
09893311636

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