Monday, January 25, 2010

बेकाम

अब तुम बूढ़े हो गए हो हिरवा,
एकदम बूढ़े औ़र बेकाम,
बिलकुल तुम्हारे उस बैल की तरह ,
जिसे तुमने घांस डालना छोड़ दिया था,
 किन्तु वो तुम्हारे घर औ़र उसके खूंटे को छोड़कर कंही नहीं गया था,
बेदम पड़ा रहता था अपने गुवाड़े में ,
औ़र तुम हिरवा तुम भी बड़े निर्दयी हो गए थे उस समय,
उस बैल ने तुम्हारी बरसों सहायता की थी ,
औ़र असमर्थता की स्थिति में अकेला छोड़ दिया था,
उसे तुमने उसके हल पर,
फिर आज क्यों कोसते हो अपने बेटों को?
शायद उनके लिए अब तुम बेकाम हो,
पड़े रहो अपनी कोठरी में चुपचाप ,बेदम औ़र लाचार. 

ताहिर अली
09893311636

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