तेरी सूरत मेरी माँ मेरे खुदा से मिलती है
तेरी गोद में रखके सर जब मेरी माँ सो जाता हूँ,तब में अपने आपको खुदा के सामने ही पता हूँ,
जब में तुझसे दूर होकर तनहा सफ़र पर जाता हूँ,
दिल मेरा रोता है माँ औ़र में काफिर हो जाता हूँ,
जब कभी बातों ही बातों में तेरा ज़िक्र आता है,
सच कहूँ तो उस घड़ी सजदे में से झुक जाता है,
बुत परस्ती का ना मुझको इल्म है ना शौक है,
दिल ने माना रब तुझे औ़र रब से ये बेख़ौफ़ है,
मिटा दूँ खुद को गर तेरी पेशानी पे बल पड़े,
हँसते हँसते लड़ जाऊ खुदा से गर तेरे लिए लड़ना पड़े.
ताहिर अली
09893311636
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